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मन मन बहुत कोमल होता है और इसको वश में रखना कठोर व्रत के समान होता है ! यदि मन अंतर्द्वंद का शिकार होता है तो प्राणी का मस्तिष्क असंतुलित हो जाता है! जिन मनुष्य का मन शीघ्र विचलित हो जाता है उसके परिवार में अनुशाषनहीनता , अवव्यवस्था , दुराचार जैसे गुण पनपने लगते हैं ! मनोनिग्रह अत्यंत महत्वपूर्ण धरोहर है ! इसके बिना न तो आत्मिक संतोष और न ही समृद्धि प्राप्त होती है ! प्रत्येक मनुष्य का मन भिन्न भिन्न आनंद में संतोष प्राप्त करता है ! भौतिक आनंद जिसमें भौतिक सुखों की वृद्धि के लिए हर पल अग्रसर रहता है और फलांक्षा में मन में संतो...