अटूट संघर्ष
महकते उपवन में आज
खिली हैं कलियाँ अनेक ,
मुस्कुराती हुयी ,
अम्बर को निहारते हुए,
लगती कुछ खोयी खोयी ,
काश की वे भी अम्बर होती ,
अनेक पंछी उन तक पहुँचने
के प्रयास में होड़ लगाते और वे ,
खिलखलाकर हँसती,
भाग्य की विडम्बना ,
पवन के झोंके पटक देते
उन्हें हकीक़त के कडवे धरातल पर ,
जहाँ कांटे कंकड़ ,बीहड़ जंगल ,
और उन्हें उसी में खोना है ,
नव कलियाँ वही खिलेंगी ,
फिर वही स्वप्न व् हकीक़त के बीच ,
अटूट संघर्ष ,नारी जीवन का निष्कर्ष !