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Showing posts from August, 2013
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कलयुग में कान्हा ________________________ आज देखो हर ओर हर आँखे रो रही है , शायद कान्हा तेरी रूह सो रही है ! कैसा ये अनिश्चितता का दौर है , चारो ओर अराजकता का शोर है ! दुखी सुदामा हर गली में बिलखता है , कंश राज का अब बोलबाला दिखता है ! बहिने आज हर क्षण् अपमानित होती हैं , पर कान्हा तेरी उदारता ना कही दिखती है ! भ्रष्टाचार दीमक देश को चाट रही है , अत्याचार का दंश दिलो को पाट रहा है ! आज हर ओर माँ का बँटवारा हो रहा है , कान्हा तेरे संस्कार संसार भुला रहा है ! निरथक जात-पात का भेद बढ़ गया है , आज हैवानियत का क्रूर पद बढ़ रहा है ! पहाड़ो पर मेघो ने उजाड़ दिया जनजीवन है , आज सूना-सूना हर माँ का घर आँगन है ! वनप्रदेश और जनजीवन हर दम कराहता है, तेरी मधुर बाँसुरी धुन को हर घर तरसता है ! आज भी यहाँ दुर्योधन जैसे सत्ताधारी हैं , पांडव देख आज भी दर दर भटकते हैं ! कलयुग में भी इंसानियत का मोल नहीं है , हर चौराहे पर मासूम लहू बेमोल बहता है ! गीता ज्ञान किताबो में सिमट गयी है , रिश्तों के आडंबरों में दुनिया खो गयी है ! आज फिर कान्हा तुझको आना ही है , आज फिर एक अर्जुन को जगाना ही है ! जन्माष्टमी
इमानदारी जहाँ रोती हो , बईमानी जहाँ हँसती हो , वहाँ लोकतंत्र का मोल नहीं , भ्रष्टाचार जहाँ फलता हो ! ________सुनीता __________________________ असल मित्र वही सच्चा जो प्रभू मन भाए ! शेष जगत में सब कुछ मिथ्या जो मन भरमाए !! ______________सुनीता शर्मा _____________________________ आँसू मन के मोती हैं ...यूँही नहीं बहा करते , जीवन के सच्चे साथी ...यूँही नहीं छूटा करते , बीमार आंखो में न आते कभी आँसू क्यूंकि , आँखो का यह श्रृंगार हर किसी को नहीं मिला करते ! **********सुनीता शर्मा  _____________________________ देश में इंसानियत का सुंदर् गुलशन हो , अमन चैन से हर ओर महकता उपवन हो , त्योहारो की रौनक बढ़ेगी तभी जब .... दूर दूर तक रोता हुआ न कोई आंगन हो ! _______________सुनीता शर्मा __________________________ विचार प्रवाह रुक नहीं सकता , पंछी उड़ना भूल नहीं सकता , लाख फंसे भवर में कश्ती .... ईमान क़ा असूल बदल नहीं सकता ! `-सुनीता शर्मा _____________________ दुख होता है जब नाम ही परेशानी का सबब बन जाए , कठिन तपस्या उन्नति में कंटक का सबब बन जाए , मुश्किलों से लड़