नारी तेरी यही कहानी....

सुबह से सांझ की सफाई तक  ,
चूल्हा ,दफ्तर ,घर आंगन तक ,
वंश बढ़ाने से पढ़ाने तक ,
नारी तेरी यही कहानी !

अपने स्वाभिमान को तिलांजली देने तक ,
दुःख -वेदना में भी मुस्कुराने तक ,
लट्टू सी रिश्तों की बागडोर निभाने तक ,
नारी तेरी यही कहानी !

बीमारों की बीमारी से अपनी बीमारी तक ,
बूढों की सेवा से अपनी पीड़ा तक ,
तानो व् तिरस्कृत स्वर व् दहेज अग्नि तक ,
नारी तेरी यही कहानी !

संघर्ष ,अधिकारों व् प्रताड़ना तक ,
अचल त्रिकाल के प्रतिकार तक ,
पिछड़ी उद्दंड  मानसिकता के प्रहार तक ,
नारी तेरी यही कहानी !

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