भूख का भूत......

भूख  का भूत होता है  अक्सर खौफनाक ,
ये जाने गरीब और शुगर के मरीज ,
स्वाद और पकवान  का न होता कोई शौक ,
जो मिले, जैसा मिले मिटा ले अपनी भूख ,
चुराकर ,छीनकर या धमकाकर इसे है सब छूट !

भूख का भूत बन जाता अक्सर हैवान ,
समाज के बुराईयों को बढाकर होता यह तृप्त ,
मानवीय विभिस्ता को बढ़ाता इसका विकृत रूप ,
 धर्म और निष्ठा  को खंडित कर मिटती इसकी भूख ,
जीवन मरण के चक्रव्यूह  में उलझा  कर मिलता इसे सकूं !

भूख का भूत बन जाता कभी बहुत मासूम ,
ये जाने बच्चा और बूढ़ा इंसान ,
बैचनी और मायूसी से करते इंतजार,
शोर मचाकर ,हक जताकर मिटाता  अपनी भूख ,
अपनत्व  के इंतजार में  बिलखता है खूब !

भूख का भूत  हो जाता कभी धैर्यवान ,
ज्ञान की खोज करने से मिले इसे  चैन ,
रूह को परमात्मा से जोड़ने की बढती ललक ,
शांत ,गहरा और निश्चल भाव से करता दर्शन ,
सांसारिक भूख त्यागकर जगाता आलोकिक भूख !१२/१०/२०१२ 

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