जीवंत मृत्यु
जुदा होते रिश्तों पर वर्षों अश्रुं हम बहाते हैं ,
कुछ छल से ,कुछ विपदा से ,तो कुछ यम के मारे हैं !
मौत यदि क्रूर तो जीवन कटु सत्य है ,
रिश्तों को खोकर दुःख सहने की हिम्मत जो बढती है !
दूसरों को सुख न दे सको तो उनको दुःख भी नही देना है ,
पल पल जीते हुए भी इस संसार में मरकर जीना है !
लोग हमसे मरणॊपरांत जुदा नही होते हैं ,
वे तो जीवन भर परछाई बन साथ हमारे चलते हैं !
हमारे चेतन मन में जो गमगीन विचार होते हैं ,
उनका प्रतिपल हमे त्याग कर चित को शांत करना है !
भावना में लायें श्रेष्टता और कर्मों को सत्मार्गी बनाना है ,
देह की नश्वरता को समझ जीवंत मृत्यु निभाना है !
आभारी केवल परम पितामह का बनना है ,
सुख दुःख में एक सा रहकर जीवन जंग जीतना है !!
२०/१०/१२ ..