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Showing posts from December, 2012
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गरीबी की कहानी  सर्दियों में  अर्ध वसन  देह  का संतोष सहारा चीथरों  के भीतर होता ठण्ड का बसेरा  सुबह और रात शीत की पीड़ा बनती लुटेरा  बिजली के खबों  तले ढूंढे गर्मी का सहारा  भोजन का न उसका कोई ठिकाना  जूठन व् बासी अन्न में वह ढूंढें सहारा  पेट की आग को अक्सर पानी से बुझाता  हर पल एक दूजे  को देख देते दिलासा  सर्दियों की  ठंड  में एक मैली चादर में सिमटे बच्चे  दिन भर  के काम के बाद नींद कहाँ ,सपने बुनते बच्चे  किटकिटाते  दांत , कंपकंपाती  देह सहते बच्चे  ठण्ड की बयार को मजबूरन सहते लाचार बच्चे  नित्य सवेरे पानी भरने कतार लगाते  उसी वसन   में नहाते  और काम पर जाते  सारा दिन फिर उसी में गुजार देते  फिर  भी  चेहरे पर असहाय मुस्कान भरते  बड़ी  ऊँची  इमारत  देख  हतप्रभ रहते  टपकती  छत  व् पथरीले जमीन  पर बचपन  तरसे  अमीरी  हीटर  में भी ठण्ड की गुहार  हर पल लगाते  गरीबों की मुश्किलों पर ये लोग किंचित तरस न खाते  दरिद्रता  में भी जीवन जीने का सबब सिखाते  कल का न इनका कोई ठिकाना सो आज में  ही जीते  निर्बलता  को  अपने जीवन पर बोझ न
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उत्पीडित नारी   जीवन के हर  घटते   पलों  को हरदम मैंने आंसुओं से सीचा , दुखों के सैलाब में  कभी भूल से भी न दिखाया किसीको नीचा , हे तारणहार  तेरी इस दुनिया  में नारी  को ही उत्पीडन सहना पड़ता , मेरी सिसकियाँ  और करुण  पुकार ,किसी का हृदय  न द्रवित करता ,  क्रूरता से   तमाशबीन बने  लोगों की सोयी आत्मा  सोते से नहीं कोई  जगाता , दूसरों  के दुःख में  लोग  कैसे  बना लेते उनपर  ढेरो कहानिया  या किस्सा , है  विनती  बस  इतनी  इन  संवेदनहीन लोगों के  हिस्से में न भरना तू  क्षमादान !  18/12/12 सदियों से नारी का घर, बाज़ार ,दफ्तर  ,रेलों  और अब बस में भी कोई सुरक्षा नहीं ...तो  फिर  नारी का अस्तितिव क्या है ....आपके विचार सादर अपेक्षित !
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SIDHH  PEETH MEDANPURI DEVI TEMPLE Uttarakhand is great place of trekking and pilgrimage .It is also called "DEVBHOOMI ".The hilly belt offers to captivate tourist with its mystic charm enveloped by spiritual air . Uttarakhand is blessed with deep cut breathtaking valleys , beautiful meadows , waterfalls in terms of its spirituality ..The land of holiest shrines , temples and majestic views  , is drastically affected by migration, and now only popular among the natives . I always have inclination towards our temples and the legend associated to them . Fascinated and inspired by remarkable story of our brood goddess Medanpuri   Devi , for first time I visited the shrine which is really an excellent place of visit in terms of meditation and soothing environment .Situated at an elevation of 1657m, the temple is popularly known as Medanpuri devi temple , that stands erected in Dharkot village ,Patti - Udaipur , Yamkeshwar block , Pauri  Garhwal..The Goddess basically is
1. फायकू     पतझड़ भर निहारती रही     आयेगा बरसाती मौसम     तुम्हारे लिये _______________________ 2. फायकू   आंसुओं को पौंछ डाला   और हंसती रही   तुम्हारे लिए ___________________ 3  जीवन संग्राम  लड़ेंगे  अब    ऊँचाई  छूना है    तुम्हारे लिए  ___________________ 4  अधरों  की मुस्कान बने    जीवन  के पल    तुम्हारे लिए  __________________ 5  दिलों  की प्रेम  सरिता  निर्मल  धारा बनेगे  तुम्हारे लिए 
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रूह की कसक  यूँ मिलकर तेरा  बिछड़ना  कसक  बन गयी धडकनों  पर , वो   बतियाना और खिलखिलाना   सांझ से  भोर  तक , कभी गिरने  व्  लड़खड़ाने  में  तेरे  मजबूत  इरादे पर , रूह   के  सुंदर  नीड  बसने  व्  आँधी   से  उजड़ने  तक , सूनी  सड़कों  में  तेरे हौले  से बढ़ते कदमों की आहट  पर , मेरी  सिसकियों  व्   तेरी  हिचकियों  से भरी  बातों तक , लड़ते  झगड़ने  में  तेरा तस्वीरों को छुपाना और बदलने पर , घर  की  खिड़की  से  बाहर  घंटो  अपलक  तेरे  इन्तजार तक , भोर की किरण   और गोधूली  की वेला में  तेरे  होने   के अहसास  पर , रूठ  गयीं  बहारे  बनकर जीवन  भर  की  रूह  की  कसक  तक !
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जख्म  दुनिया भी क्या है , एक भीड़ है  मेला  है , फिर भी इंसान , निपट अकेला है , बाटों   में बटोही , एक आस जगा जाते हैं , स्याह रातों के बाद फिर , घातक  अँधेरा   है , सपने जो बिखरी पड़े हैं , टूटे आईने की शक्ल में , अपने से ही लगते हैं , जबसे वीराने में , परिंदों के नीड को देखा है , बीते कल की यायावरी , बेपरवाह अंतहीन उड़ान , हर सांस पर  तुम्हारे प्यार का पहरा है , आज समझ पाएं हैं , दर्द के इस नए रिश्ते को , लगता है ये जख्म , उस जख्म से गहरा है ! अपनों की मृत्यु पर अग्नि के साथ  देह का रिश्ता खत्म हो जाता हैं किन्तु  रूह तो अजर अमर है  , उससे जुडी यादों की कसक जीवन भर रहती  हैं जिसकी वेदना की चुभन  तो मिटती ही नहीं है !
हम  बच्चे  हैं तुम्हारे इस गुलिस्थान  के  मत  छीनो  हमसे  बचपन  अपनी  स्वार्थ  में कोमल हाथो  में न दागो  अपनी  निर्मम  छड़ी  को  हमको  भी  पढने खेलने  का  अधिकार दो !
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                         "स्वाभाव  व् आदत " भाषा  जो होती  मौखिक  उस पर  प्रत्यंचा  स्वभाव  की हर क्षण , स्वाभाव जो होती आंतरिक  उसका    अवलोकन  करो  हर  क्षण ! कर्म  जो  होती  जीवन  नैया  उसका साहिल  आदत  बने हर  क्षण , आदत   जो   होती  बाह्य  उस  पर रखना  नियन्त्रण  हर   क्षण  !! ___________________सुनीता _______________________
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भाई की यादें  तुझसे बिछड़कर फिर वही रात दिन , छिन गया वो था दिले सकूँ , हर बढ़ते तूफ़ान की न कोई मंजिल , जिसका घर था केवल हमारा दिल , वक्त के हाथों कितने मजबूर , आईने में ढूंढे तेरी तस्वीर , चुभती हर पल वह श्याह सवेरा , आंसुओं से  भीग गया  बिना तेरे किये दीदार , जीवन की हरेक  खुशियों में  गमगीन   शहर , अंखियों के सपनो में केवल तेरा बसेरा , क्यों मेरी चाहत बना खुदा की चाहत , मुझे रुलाकर मिली उसे जो राहत , मेरी तकदीर व् मेरे अपनों के आंसू की दर्दमई   हालत , कोई रूह को न दे सकूँ ,देता बस जैसे खैरात , जितने भी मिले ,दिए सभी ने गमे बरसात , जीवन के आखिरी पड़ाव में भी तेरा गम सताता , दुनियावी भीड़ में भी कोई एक पल न देता राहत , बुझे अरमान ,सिसकता दिल ,भावनाओं को कोई न आंकता , उफ़  यह जिन्दगी की तन्हाईयों में जीना कोई समझ नही सकता , खता   खुदा की समझें या अपनी तकदीर की घुटी जज्बात , दुनियावी रिश्तों से न कोई सरोकार जब रूह न दे साथ , कितने ही वसंत दिखे पर तुझ बिन सब पतझड़ सा लगता , एक कसक सी रह गयी जीवन में भाई न तेरी इसमें कोई खता, आँखों के
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तेरी यादें  बचपन के आंगन    उपवन  में  वो तेरा दौड़ना भगाना   याद आता है मुझे हर पल , तेरा  चहकना,छिपना ,  रूठना और  ...... फिर घंटों  की खामोशी   याद आता मुझे  हर पल  , किताबो  को  बिस्तर पर  सजाना   और उनकी तस्वीरें  को  ... दीवारों पर उकेरना  याद आता है हर पल , क्रिकेट  के मैदान  में  चिलचिलाती  धूप  में   तेरी पसीने में भीगी कमीज   याद आती हर पल , जीवन  के हर  सीढ़ी  पर  तेरी  हौसलों की उड़ान   व्  प्राप्त  कामयाबी   याद आती हर पल , मायूसी  के  माहौल  में   अपनी  अदाकारी  से  सबको  दिलशा देना  याद आती हर पल , गरीबी  व् लाचारी में भी ... भरे पेट होने का तेरा दिखावा   करना याद  आता है हर पल , रिश्तेदारों के उल्हाने  में   माँ बाबा की हमजोली बनना  तेरा याद आता हर पल ,  छोटे -बड़े  सभी लोगों  के मुह पर  तेरा ही नाम ,तेरा वह मृदु  स्वभाव   याद आता हर पल , सुखना झील में  डूबते लोगों  के जीवन रक्षक   तेरा हौसला याद आता हर पल , चुपके से   प्रतियोगिताएं  में  विजयश्री  के दमके   सजाने वाले  तेरे  हाथ  याद आते हर पल , जीवन  आँधी  
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माँ  जीवन का वह मधुर चिंतन  जिसके अहसास मात्र  से मनुष्य  के कष्ठ  का निवारण हो जाता है ..किन्तु यदि अपनी माँ ही व्यथित हो तो हम आप कैसे  सुखी रह सकते हैं .!..आज उन सभी माँ   हेतु रचना समर्पित करती हूँ जो या तो वक़्त की मारी   हैं या   संतानों द्वारा पीड़ित हैं ! माँ माँ उज्जवल किरण  माँ  बरखा की  फुहार  माँ ममता का आँचल  माँ चन्दन  की खुशबू  माँ तपोवन  का सार  माँ गंगा सी पावन  माँ  कष्टों की संहारक  माँ  धैर्य  का सागर  माँ  जीवन की प्रेरक  माँ  भक्ति  की शक्ति  माँ  अवसादों की तारणहार !! 4/12/12 
 बदलती संवेदनाएं  त्रिश्नाओं  की इस माया नगरी में हर रिश्ते यहाँ बेमानी , भावनाओं के खरीदार सैकड़ों  करते यहाँ व्यापार  मनमानी , इस मक्कड़ जाल में  फसने  वाले हरएक  हैं अभिमानी , दर्द की चुभन  तो रूह के द्वार सिसकती  और आहें  भरती , जीवन की तपिश  सहने वाला  हर प्राणी  बनता जाता ज्ञानी , सामाजिक  चिन्तन  की नैया   पर अवनैतिक  चिन्तन भारी , भ्रष्टाचार  व् महंगाई के शोर में  मिट रही युही  जिंदगानी , हवाओं का रुख बदलने वाले  की  बलिदानों  की बस यही  कहानी !