फूलों का इंतकाम
जर्रा जर्रा फूलों का महकता संसार ,
लाती है जीवन में बसंती बहार ,
रंग बिरंगी तितलियों का उमंग रस भंडार ,
मधु की चिर निरंतर बहती धार !
मानव का कलुषित ईर्ष्यालु संसार
फूलों को तोलने व् तोड़ने का करे व्यापार ,
वसंत आने से पहले पतझड़ लाने तो तैयार ,
मधुलिका को ले जाता मधुशाला की ओर !
जीवन की सुनिश्चित सी डगर ,
फूलों के संग काँटों का संसार ,
सतरंगी दुनिया के पीछे लहू की पुकार ,
जाग रही हैं कलियाँ लेने फूलों का इंतकाम !
नारी फूल भी हैं तो शूल भी है .....यह समझना होगा सभी नारियों को कब तक अत्याचार सहोगी ?
और कब तक समाज की कुरीतियाँ उसे रोने और आत्महत्या की ओर प्रेरित करेगा ......?