आगोश .... जीवन कारतूसों का खिलौना बना , समारोहों में गोलियाँ चलती अब दिखावे में ! लाशों के ढेर पर वोटों की उपलब्धियाँ , आज मानवता रोती श्मशान के आगोश में !! विस्फोटों से माँ की आत्मा झुलस रही , क्यूँ यहाँ आतंकी अरमान सुलग गए ? घोर कुत्सित मानसिक प्रवृतियाँ बढ़ रही , रोज लाखों मौत के आगोश में सो गए !! भ्रष्टाचार के बढ़ते स्वाइन फ्लू से , अशोक के भारत की इमानदारी खो गयी ! मुफलिसी रुपी अंधड़ की चपेट में , लाखों बेटिया दहेज के आगोश में सो गयी !! प्रकृति से अनैतिक खिलवाड़ से , मनुष्य पतन की ओर बढ़ रहा ! रिश्तों में बढ़ते वैर वैमनस्य से , अपनी परछाई के आगोश में डर रहा !! लोकतंत्र की हिफाजत भूलकर , हिंसा तंत्र को आज सब अपना रहे ! न्याय अपेक्षा में बंद का आह्वान कर , महंगाई के आगोश में सभी त्रस्त हो रहे !! ___________________________
Posts
Showing posts from February, 2013
- Get link
- X
- Other Apps
आत्म मंथन दिलों में बुझ रहे मानवता के दीप है, हर सडक पर खून की बरसात है , आगे बढकर कोई मदद क्यूँ करे, कुशाशन से मिलता क्रूर प्रहार है ! इंसानी विभिस्ता में गमगीनियों सा माहौल है ! नैतिकता अधमरी ,चीत्कारों से अंतर्मन काँपा है ! दहसत फ़ैलाने वालो से न डर ,हौसला रख ! मंजिल अब दूर नहीं , साँसों के आवेग को परख !! जीवन की तन्हाईयों में खुद की तलाश कर , परायी पीड में अपना जीवन निसार कर , वक्त के थपेड़ों की उथल पुथल , सब्र का मोल समझ जीवन उन्नत कर !! बेसहारों का तुझे अडिग संबल बनना होगा ! पतझड़ झेलते बुजर्गों का आत्मबल बनना होगा !! समाजसेवा देता आत्मसंतोष ,मन से हटाता आक्रोश ! आत्म मंथन अमृत समान , जीवन में लाये नया जोश ! ___________________________________...
- Get link
- X
- Other Apps
मन मन की माया अपरम्पार , मोह माया में ढूंढें श्रृंगार , विधुत गति से भी भागे तेज़ , जाने किसके हाथ इसकी डोर ! स्वप्नों की अद्भुत नगरी में , संघर्षों के भयावह धरातल में , चंचल मृग सा भागता रहता , खूब भटकता अपनी धुन में ! मचलता कभी कटी पतंग सा , डगमगाता बिन मांझी के नाव सा , जीवन भर न थमता क्षण भर , है इसके खेल समुंद्र सा ! इसको जीतने का जतन भारी , लगी इसी जुगत में दुनिया सारी , इसकी ,क्षमता के आगे सब हारे , क्या हो बड़े बुद्धिजीवी या हो पुजारी ! मन साधो , न बनाओ इसे मदमस्त हाथी , मन बनाओ सकरात्मक न बनने दो इसे उत्पाती , निग्रहित मन में होती शक्ति प्रचण्ड , ईश्वरीय भक्ति से ही इसे मिलती शान्ति !
- Get link
- X
- Other Apps
ॐ जय साईनाथ ॐ ॐ जय साईंराम ॐ ॐ जय साईं नाथ ! बनाईए सबके बिगड़े काम , हो चाहे सुबह दोपहरी या शाम , ॐ जय साईं नाथ ! बच्चों से छिन रहा बचपन , गरीबी बढ़ रही अब निसदिन , आम जनता हो रही बेहाल , महंगाई ने किया सबको परेशान ! आज सतयुगी कर्मयोगी न रहे द्वापरी धर्मयोगी भी अब न रहे माँ के त्याग को न करता कोई याद नरभक्षी अब चारों ओर बढ़ रहे ! अब देश में न मनाओ होली या दिवाली हर सडक , मुहल्ले में चल रही अब गोली भय आतंक का बाज़ार गर्म है लूटेरे लूट रहे जनता बेचारी भोली ! जग में फ़ैल रही आशक्ति के घोर अँधेरे इस विपदा में...
- Get link
- X
- Other Apps
जीवन जीवन उथान के मार्ग सदा होते कंटक भरे , पल पल कशमकश के बादल सदा रहते घेरे , सुनियोजित दिशा में बढने से सदा रोके , बाधाओं को पार करने से कभी भी न डरे ! मंजिल गर हो पानी , नकरात्मक चिन्तन न लाना तुम ! जीवन गर हो कठिन , संघर्ष से तनिक न घबराना तुम ! मन व्यथित करने वालो से दूर गर हो जाओगे , विपदा और बढ़ेगी , त्रासदियों के भँवर में उलझते जाओगे ! संसारी रिश्तों में होते छिपे स्वार्थ कोई न कोई , पग पग भावनाओं के खिलाडी की पहचान न कोई , जीवन संबल बनाने वाला ढूँढो चहू दिशा , जीवन सुगम बनाने वाला परमात्मा से दूजा न कोई ! त्रिश्नाओ के मायावी जाल से सदा बचना , दूसरो को दुखी देख कभी न खुश ह...
- Get link
- X
- Other Apps
आएँ माँ शारदे को नमन करें , सुंदर भारत का अब निर्माण करें , ज्ञानगंगा की धाराएं बहे अब चहूँ दिशा , आयें सब मिलकर सार्थक प्रयत्न करें ! दुखो का अब अंत हो , मन सबका आनन्दित हो ! राग द्वेष से और पतन न हो , उम्मीदों का ऐसा उपवन हो ! नयी आशाओं का आह्वान करें ! माँ शारदे का सभी आदर करें !! ************************************************************************************** आप सभी स्नेही स्वजनों व् आदरणीय प्रेरको को बसंत पंचमी की सादर बधाईयाँ !
- Get link
- X
- Other Apps
भोर सुप्त व्यवस्था पर जागृत चेतना फिर सुप्त हो चली है , कुत्सित आचरण से द्रवित पुकार फिर सुप्त हो चली है , वक्त के नस्तर बदस्तूर जारी रहेंगे जाने कब तक , झींगुर की झी में स्याह रात फिर गुमनाम हो चली हैं ! दुखो का सैलाब है ,निर्ममता का प्रहार है ! मौत का मंजर है , इंसानियत का आया अंत है ! नफरत के समंदर में अन्याय की बढ़ोतरी हो चली है , भोर मनुजता की क्यूँ अब दूर हो चली है ? *********************************************************
- Get link
- X
- Other Apps
काव्य समाचार ******************** 1 अनाचारियों को सबक सिखाने और गरीब पीड़िताओं के लिए दर्द नहीं हैलीकॉप्टर में बैठकर प्रदेश का दर्द को समझने वाले बेदर्दों की कमी नहीं ! _________________________________________ 2 नाम प्रसिद्धी की राजनीती खेल रहा आज हर आदमी जिनकी जिन्दगी लुटी भूल गए सभी दूसरों की पीड़ा में आज रोटियाँ सिकती ____________________________ 3 सिंह की दहाड़ से कांपता समस्त वनप्रदेश बेबाक लेखनियों पर चल रही सत्ता की तेज़ धार गमों के कुम्भ में नहा रहे समस्त देशवासी गफ़लत में जीने वालो देखो जन जन की पैनी धार _______________________ 4 सुप्त व्यवस्था पर जागृत चेतना फिर सुप्त हो चली है कुत्सित आचरण से द्रवित पुकार फिर सुप्त हो चली है वक्त के नस्तर बदस्तूर जारी रहेंगे जाने कब तक झींगुर की झी में स्याह रात फिर गुमनाम हो चली हैं . __________ 5 जीवन पहेली ....सच्ची सहेली , साथ खेली .....साथ ले जायेगी ! -------------------------- 6 समाज को महिला दिवस की दरकार नहीं एक दिवस से उसको कोई सरोकार नहीं...
- Get link
- X
- Other Apps
पत्थरों के शहर में सिसकती जिन्दगी तू मायूस रहेगी , पत्थरों के भयावह शहर में इन्साफ की पुकार न सुनेगा कोई नाम की चाह रखने वालों की भीड़ में अस्मत लुटी तेरी हर गली खबरों में चमके कई गुमनाम चेहरे तेरा दुःख बना राजनीतिक सुख हर कहीं अपना नाम गिनवाने हेतु भीड़ जुटाते गर्म खबरे बनी तेरी सिसकने की कहानी देख नाम कमाया आज अनेकों पत्थरों ने तेरी पीड़ा तेरे गम के व्यापारी सभी खबरों में चमक गए देख आज नाम हजारों इन्साफ की पुकार में खोयी तेरी कहानी पत्थरों से मैदान भरा पत्थरों के शहर में दिल से बैचैन रूहे चीखती रही पत्थरों से अपना सर फोड़ते दिखाई दिए संस्थाओं के नाम में पहचान तेरी गुम हुयी सुबह लोग खुश हुए पत्थरों के शहर में तेरे लिए सम्मान क्या चंद आंसू भी नहीं नाहक ढूंढ रही इंसानियत पत्थरों में अत्याचारों के बढ़ रही लहर हर कहीं अस्तित्व तेरा मिट रहा पत्थरों के शहर में *****************************************
- Get link
- X
- Other Apps
दोस्ती दोस्ती बनाने वालों की भीड़ अनन्त दोस्ती निबाहने वालों की खोज कठिन दोस्ती बिगाड़ने वालों की भीड़ अनन्त दोस्ती निबाहने वाले किरदार कम दोस्ती के नाम पर उपहासी अनन्त दोस्ती निबाहने वाले अब हो गए खत्म दोस्ती के नाम पर आडम्बरी अनन्त दोस्ती के रोशन नाम हो गए कहीं गुम दोस्ती के नाम पर बढ़ रहे फरेबी अनन्त दोस्ती की चाह में राह भटक न जाना कभी तुम !