पत्थरों के शहर में 

सिसकती जिन्दगी तू मायूस रहेगी ,
पत्थरों के भयावह शहर में
इन्साफ की पुकार न सुनेगा कोई
नाम की चाह रखने वालों की भीड़ में
अस्मत लुटी तेरी हर गली
खबरों में चमके कई गुमनाम चेहरे
तेरा दुःख बना राजनीतिक सुख हर कहीं
अपना नाम गिनवाने हेतु भीड़ जुटाते
गर्म खबरे बनी तेरी सिसकने की कहानी
देख नाम कमाया आज अनेकों पत्थरों ने
तेरी पीड़ा तेरे गम के व्यापारी सभी
खबरों में चमक गए देख आज नाम हजारों
इन्साफ की पुकार में खोयी तेरी कहानी
पत्थरों से मैदान भरा पत्थरों के शहर में
दिल से बैचैन रूहे चीखती रही
पत्थरों से अपना सर फोड़ते दिखाई दिए
संस्थाओं के नाम में पहचान तेरी गुम हुयी
सुबह लोग खुश हुए पत्थरों के शहर में
तेरे लिए सम्मान क्या चंद आंसू भी नहीं
नाहक ढूंढ रही इंसानियत पत्थरों में
अत्याचारों के बढ़ रही लहर हर कहीं
अस्तित्व तेरा मिट रहा पत्थरों के शहर में
*****************************************

Popular posts from this blog