बदलती संवेदनाएं
त्रिश्नाओं की इस माया नगरी में हर रिश्ते यहाँ बेमानी ,
भावनाओं के खरीदार सैकड़ों करते यहाँ व्यापार मनमानी ,
इस मक्कड़ जाल में फसने वाले हरएक हैं अभिमानी ,
दर्द की चुभन तो रूह के द्वार सिसकती और आहें भरती ,
जीवन की तपिश सहने वाला हर प्राणी बनता जाता ज्ञानी ,
सामाजिक चिन्तन की नैया पर अवनैतिक चिन्तन भारी ,
भ्रष्टाचार व् महंगाई के शोर में मिट रही युही जिंदगानी ,
हवाओं का रुख बदलने वाले की बलिदानों की बस यही कहानी !