किताबे **** कुछ किताबे.. होती समय साक्षी है, कुछ मन मोहिनी सी, कुछ उबाऊ भी जो स्लैबों की शोभा मात्र बन रह जाती हैं, परत दर परत धूळ का लिबास ओढ़े तो कुछ होती ऐसी भी जो . कौतुहल से बेसब्र .. अपने उद्धारक ... पाठक की ओर ... अपनी रंगीन जिल्दों का ... जादू बिखेरना चाहती है |
प्रेम प्रेम तो है जीवन श्रृंगार , लाती है खुशियों की बहार , अंतर्मन में बसती सौंधी खुशबू सी , सुदृढ़ रिश्तों का उत्तम आधार ! सुंदर गीतों से झंकृत संसार , प्रेम के बोल हैं जिसके श्रृंगार , जीवन में प्रेम है ब्रह्मानंद , खोलती सदा उन्नति के द्वार ! प्रेम भावनाओ का है संसार , सुंदर अहसासों का सुदृश्य द्वार , खिलता जिससे मन आँगन , दिलों का होता जिससे सुंदर श्रृंगार !
घड़ी भर की वह बरखा फुहार बनकर आया बेहरूपिया था मगर ऐतबार बनकर आया वक़्त की बंदिशों मेँ पहचान ना सके जिसे वो गुलशन मेँ मेरे खार बनकर आया रिसते जख्मों की तदबीर तो जरा देखिए वह तो रिश्तों का सौदागर बनकर आया परवाज़ की बुलंदियों पर फक्र था मुझे पर कतरने बहेलिया माहिर बनकर आया रूह भटकती रही घने दश्त मेँ रात दिन नागहा मेरा रकीब खंजर बनकर आया