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Showing posts from November, 2012
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GARJIA MAA BHAIRAV  CAVE STRUCTURE THE  BEAUTY KOSI RIVER  GARJIA  TEMPLE , RAMNAGAR , UTTARAKHAND TOURIST  RESORT 14 KMs  from  Ram Nagar ,on the way to Ranikhet this temple stands on huge rock in midst of river Kosi  Its heritage Garjia village . Its  one of the amazing temple of goddess Parvati  with surrounding  picturesque beauty .The whole area was earlier covered with dense forest which now is cleared by the locals . Maximum people are devotees , priests and their families. Kosi  river is life line of the people as well as fauna of Jim Corbert  National Park .Its the place of  meditation and trekking.. Its a great  panaroma of  ecstasy of vivid flora and fauna . THE  LEGEND   In the Markendeya Purana, the Kosi is described as the primal force. Due  to the violent nature of the Kosi during monsoon season, legend says that Parvati, daughter of Himalayas an...
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आयें हम सब खुशियों का बाग़ उगायें , रंग भेद, जाति व् धर्म का भेद भुलाएं , मानवता के पवित्र भाव को चहूँ दिशा फैलाएं , इस बाग़ को इंसानियत धर्म का संसार बनाएं ! ___________सुनीता ___________  
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सहनशीलता  सहनशीलता  का अर्थ है अपने भीतर शील प्रवृति एवं सहने की शक्ति का समायोजन करना ! सहनशीलता द्वारा मनुष्य कठिनतम परिस्तिथि में भी स्वयं को असहाय नहीं समझता ! सहनशीलता एक आनुवंशिक गुण न होकर अर्जित गुण है  जो समय व् परिस्तिथि के अनुरूप व्यक्ति के अंदर विकसित  होती चली जाती है ! आत्मविश्वास  यदि हमारे स्वाभाव में प्रबल हो तब हम स्वयं को सहनशीलता की परिपाटी में विजयी साबित कर पायेंगे ! मनुष्य में यह गुण तभी आएगा जब वह किसी भी बात से व्यग्र , उग्र या उतेजित न होकर अपने व् अपने समाज में रहने वाले लोगो के विचारों के साथ तालमेल बैठाते  हुए ही अपने निर्णय आगे लायें ! सहनशील होने के लिए हमे  आत्मविश्वास के साथ क्षमा  भाव भी विकसित  करना होगा जिससे हम दूसरो के  वचनों  व् कर्मों से प्रभावित न हो पाएं ! हमे अहंकार  दिखाई ही नही देता !पर उससे होने वाले नुक्सान का बोध देर से होता है !वाणी और व्यवहार  व्यक्ति के चिंतन  व् व्यक्तित्व की खरी कसौटी है ! समयित बोलने वाले असम्यित बोलने वाले से अधिक आत्मविश्व...
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शब्दों का और भावों का निरिक्षण करते हुए दूसरों के मान सम्मान को प्रमुखता देना ही संस्कारवान होने के लक्षण होते है , जो लोग कर्मों और शब्दों में फर्क करते है वे सदा दूसरों को दुःख देकर स्वयं भी सुखी नहीं हो सकते ! ईश्वरीय बनायीं  रिश्ते   चाहे वह घर परिवेश से हो या सामाजिक दायरे के हो सर्वप्रथम कसौटी है जो एक दूसरे के आत्मस्वाभिमान की रक्षा व् इंसानियत का प्रति हम सबका प्रथम धर्म होना अनिवार्य है ! कुछ लोगों का अभिमत है कि बच्चे का जीवन सफेद कागज जैसा होता है. उस पर व्यक्ति जैसे चाहे, वैसे चित्र उकेर सकता है. बच्चे को जिस दिशा में मोड़ना हो सरलता से मोड़ा जा सकता है. एक दृष्टि से यह मन्तव्य सही हो सकता है पर यह सर्वांगीण दृष्टिकोण नहीं है. क्योंकि हर बच्चा अपने साथ आनुवंशिकता लेकर आता है, गुणसूत्र (क्रोमोसोम) और संस्कारसूत्र (जीन्स) लेकर आता है. सामाजिक वातावरण भी उसके व्यक्तित्व का एक घटक है. इसका अर्थ यह हुआ कि संस्कार-निर्माण के बीज हर बच्चा अपने साथ लाता है. सामाजिक या पारिवारिक वातावरण में उसे ऐसे निमित्त मिलते हैं, जिनके आधार पर उसके संस्कार विकसित होते हैं. ...
जीवन के कर्तव्य पथ पर जो निरंतर बढ़ता जाये , मुश्किलों से कर सामना जो कभी न घबराये , फलों की आकाक्षा में हरगिज़ जो न डगमगाए , मंजिलें उन्हें मिलें जो वक्त के साथ कदमताल मिलाएं !
दिल से धड़कन जुदा हो तो कैसा हो , मन से उमंग जुदा हो तो कैसा हो , कलम में स्याही न हो तो कैसा हो , वक़्त पर क़दमों के निशा न हो तो कैसा हो ! 8/11/2012
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आपको व आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाए ....प्रभू आपको धन, समृद्धि , सुख एवं शांति प्रदान करें ..इस दीवाली पर आपके समस्त संकटों का विनाश हो .... .और आप जीवन में अपने उर्जावान चितन से दिलों को रोशन करें !
अहंकार  अहंकार की भारी पगड़ी पहन , ढोता मनुष्य अपने सर पर बोझ ! लोगों की कथनियों का आकर्षण , मैं और मेरा से हरदम भरे सोच ! त्रिश्नाओ के मक्कड़ जाल बुन , भागता हर पल अंधकार की ओर !
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पूर्वाग्रह  जाने क्यूँ  इंसान सिसकता  हैं मायूसियों की गलियों में हमेशा , जाने क्यूँ  इंसान  भटकता  है   पूर्वाग्रह  के अंधियारों में  हमेशा  , जाने  क्यूँ  क्षणभंगुर जीवन  में  दुखो  को महत्व देता  हमेशा , जाने क्यूँ  दूसरों  को  दुःख  देने  की  फ़िराक  में  रहता  हमेशा , जाने क्यूँ नही समझता  जीवन समाज हित में तत्पर रहे हमेशा , जाने क्यूँ  अवसादों से दुखी हो सारे समाज को दुख देता हमेशा , जाने क्यूँ समाज के लुटेरे  अपने ख़ुशी हेतु  षड्यंत्र रचते हमेशा!!    ३ / ११ /२०१२ 
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    प्रेम  प्रेम करुणा का सागर , प्रेम गंगा सा पावन , प्रेम एक अनंत गागर , प्रेम भावों का आँचल , प्रेम अबोध सा बालक , प्रेम मृग सा चंचल , प्रेम चंदा सा शीतल , प्रेम अश्रु  की धार , प्रेम जीवन श्रृंगार , प्रेम बड़ा ही मनभावन , प्रेम सृष्टी का आधार !! करवाचौथ के पावन  अवसर पर सभी को बधाईयाँ !
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              घर  हां हां ही ही हू हू की गूंजे  घर में खिलखिलाहट , भाई के हाथो में सजी रहे बहनों  का आशीर्वाद ! भाई  घर की अडिग  नीव तो बहन होती मुस्कराहट , घर वो संपन्न जिसमें खिलते यह दोनों फूल  बन सुगंध !!
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