जीवन के कर्तव्य पथ पर जो निरंतर बढ़ता जाये , मुश्किलों से कर सामना जो कभी न घबराये , फलों की आकाक्षा में हरगिज़ जो न डगमगाए , मंजिलें उन्हें मिलें जो वक्त के साथ कदमताल मिलाएं !
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किताबे **** कुछ किताबे.. होती समय साक्षी है, कुछ मन मोहिनी सी, कुछ उबाऊ भी जो स्लैबों की शोभा मात्र बन रह जाती हैं, परत दर परत धूळ का लिबास ओढ़े तो कुछ होती ऐसी भी जो . कौतुहल से बेसब्र .. अपने उद्धारक ... पाठक की ओर ... अपनी रंगीन जिल्दों का ... जादू बिखेरना चाहती है |
ग्राम की शान यादों के पन्नो से , बचपन की गलियारों में , गाँव की सोंधी माटी की , पावन खुशबू , खो गयी शहर के प्रदूषण में ! भोर की किरणों संग , खिलता था हर घर आँगन , प्रकृति के हर जीव की गूंजती थी , मधुर संगीत , खो गयी शहरी वाहनों के शोर में ! पनघट पर गाती नार , मिलकर करते थे हर कार्य , गाँव की बन धडकन देती थी , एकता का संचार , खो गयी शहरी स्वार्थी गलियों में ! चरवाहों की हंकार मवेशियों के हर दल का कूदना फाँदना बनता था , जीवन की मुस्कान , खो गयी शहरी आपाधापी में ! बैलगाड़ी की टन टन , बच्चों की मस्ती की सवारी बन , ग्राम अर्थव्यवस्था का होता साधन , ग्राम की शान , खो गयी वाहनों के बढ़ते रैले में ! प्रेम और सौहादर्य का प्रतीक , ग्रामीणों का सादगी भरा जीवन , आम पीपल की छाँव तले , बढ़ता जिनका बचपन , खो गया शहरी आधुनिकता के प्रवाह में ! आज शहरी चकाचौंध से दूर , परिकल्पनाओं के आंगन में , ढूंढ रही यादों की अमिट छाप , वे अनमोल क्षण खो गए जो शहरी जीवन की दिनचर्या में !