आयें हम सब खुशियों का बाग़ उगायें ,
रंग भेद, जाति व् धर्म का भेद भुलाएं ,
मानवता के पवित्र भाव को चहूँ दिशा फैलाएं ,
इस बाग़ को इंसानियत धर्म का संसार बनाएं !
___________सुनीता ___________
 

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