उम्मीद
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जन्म और मृत्यु
नदिया के दो किनारे
एक शाश्वत सत्य
जिसका भेद
न जान सके कोई ,
ऐसा सत्य
जहाँ मानव
हार जाता .........
फिर भी ,,,,
उम्मीद की नाव
पर सवार ,
नदी के रहस्यों
को खंगालता
अपना जीवन गवाता
किन्तु हारता नहीं ,
बस ...........
उम्मीदों को
अमृतसागर मान
जीवन नदी में
गोते लगाता
अपने दुखो के
घनेरे जंगलों
की भयावह रातों में
सुख की रौशनी
तलाशता ........
ताउम्र
एक उम्मीद
बनती अमृत लेप
व्यथित मन पर
पीड़ित देह पर
एकटक बाट जोहते
उस विश्वास पर
जो अटल है
अमरत्व लिए है
जो जीवनदाता है
और वह ..........
म्रत्युहरता भी है
वही असल
मंजिल है
सुखो का धरातल है
जीवन सुधारक
जीवन उद्धारक भी ...
जिसके साथ साथ
रहने पर पलते हैं
सुखद भविष्य के
तिलस्मी सपने !!