यातायात जाम
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दुनिया के जामनगर में
चारो तरफ भीड़ ही भीड़
सड़क और सड़कों को
जोड़ती सड़कें चलती
अंतहीन सफर पर
जहाँ आदमी की मात्र
पहचान बस ...वाहन
रेंगती - हॉर्न बजाती
असंख्य छोटे- बड़े वाहन
अपनी बनावट पर इतराते
फिर अपनी अमीरी पर
ऐंठते -धकेलते ठेंगा दिखाते
जीवन पथ पर बढ़ते ये मुसाफिर
मशीनी युग के अजीब दीवाने
जहां हर शक्स कैद होकर
इसकी तृष्णा संसार में
इतना उलझ चुका है
हर घर के हर व्यक्ति
चाहने लगा एक वाहन
समाज पर प्रभाव दिखाने
भीड़ बढ़ाने जाम लगाने
क्योंकि वाहन मोह को
भोग रहा है ढ़ो रहा है
गाली- गलौच के बोझ को
असमय मृत्यु के खौफ को
जिसको देख रहा निसदिन
जाम को पचाने की आदत ने
सिखा दिया आदमी को पचाना
समय की सभी अनियमित को
जिसमें हर रोज एक नया जीवन को
मजबूरी में जीते हैं नासमझ लोग ।
___________सुनीता शर्मा