उत्तराखंडी किसान 
_____________________

बादलों का रौद्र रूप देख , आँखे मेरी छलक रही हैं !
अपने उजड़े चमन को देख , घुमड़ घुमड़ कर बरस रही है !

जिस शिद्त से मैंने सपने देखे , धड धड करके सब चूर हो गए ,
सपनों को डुबोकर बदली अब भी ,दिल की धड़कन बढ़ा रही है !

वर्ष भर की कठोर मेहनत से , हम जीवन उजियारा करते थे !
कम अन्न और धन से भी ,मिलजुल कर गुजारा करते थे !!

प्रकृति को पूजते हम किसान , तूफानों से कभी न हारे थे !
फिर नव जीवन तलाशने  में ,ऐसी बर्बादी से भी न डरे थे !!

विकास की राह में बढे सभी ,हमको सब ने बर्बाद किया ,
अपना घर रौशन कर , उन लोगों ने हमे अन्धकार दिया ,
मुफलिस जीवन में रह रह कर जहर का घूँट हमे मिला ,
स्वार्थी लोगो पर विश्वास करने की ,सजा महादेव ने हमसे लिया !

बहुत दुःख सह लिया हमने , अब न बढ़ने देंगे दुखो को !
अपने जीवन के खार बाँट देंगे ,चमन से फूल चुनने वालो को !!

मिटटी के हम पुजारी , मिटटी की लेते आज सौगंध !
मातृभूमि के गद्दारों को , मिटटी में मिलाएंगे रहेगे प्रतिबद्ध !!

***************************************

Popular posts from this blog