तकदीर की  तदबीर


माँ भारती की तकदीर की तदबीर आज बदल डालेंगे ,
रेत के पन्नो पर जीवन की नई तस्वीर बना लेंगे !
मृत भावनाओं की बढती विस्तृत मरुभूमि पर ,
सब मिलकर विश्वास धर्म का सावन बरसा देंगे !
बिखरते रेत से कठिन इस जीवन डगर पर ,
हम मिलकर भजनामृत का समर ताल ढूंढ लेंगे !
धरा पर शुष्क चट्टानों सी मृत मानवता पर ,
सौहाद्र के आदर्शों की अब फसल उगा लेंगे !
आज जीवन धूप के विषधर बाणों की शैया पर ,
सम्भावनाओं की मखमली कालीन बिछा लेंगे !
निसदिन आतंक के सायों से उजड़ते घरौंदों पर ,
इंसानियत की असख्य मरु कश्तियाँ बढ़ा लेंगे !
माँ भारती के स्वर्णिम आँचल परमिलकर हम सभी ,
शांति व् भाईचारे और विश्वास के सितारे बुन लेंगे !



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