रेत  से सपने 


सपनो की उड़ान 
 वक्त  का पहरा 
बोझिल सांसे 
हौसले  बुलंद 
मन की गति 
चंचल   होती 
यादों  की परछाईयाँ 
तिलस्मी  उचाईयां 
बरबस  खींचती 
भटकाती ,पटकती 
यथार्थ  के 
बेदर्द मरुस्थल 
जहाँ  सपने 
बिखर जाते हैं 
मन के इर्दगिर्द 
निष्ठुर  रेत  समान 


Popular posts from this blog