प्रणाम




सुबह करो प्रथम प्रणाम परमेश्वर का ,
जग में जलता दिया जिसके नाम का ,
उसके बाद करो दर्शन अपने करों का 
जिनमें संचित होता प्रकाश ज्ञान व् स्वास्थ्य का ,
फिर सुमिरन में प्रणाम करो धरती गगन पातळ का ,
जिनसे चलता जीवन सभी का ,
फिर होता प्रणाम घर में वृद्धों का 
जिनके ह्रदय में बसता संसार आशीर्वाद का 
फिर होता प्रणाम अपनी जननी का 
संघर्ष झेलकर जिसने कर्ज निभाया धरती का 
फिर प्रणाम का अधिकार होता पिता का 
जिसने हमे सिखाया मुल्य अपने जीवन का 
फिर प्रणाम का अधिकार शिक्षक का 
जिसने भेद सिखाया ज्ञान व् फ़र्ज़ के अंतर का 
वैसे तो प्रणाम में समाहित संसार संस्कारों का 
जीवन में अपना लेना प्रणाम का पथ उन्नति का !

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