• जीवन के तन्हाईयों में खुद की तलाश कर ,
    परायी पीड में अपना जीवन निसार कर ,
    वक्त के थपेड़ों की उथल पुथल ,
    सब्र का मोल समझ जीवन उन्नत कर !!
    दिलों में बुझ रहे मानवता के दीप है,
    हर सडक पर खून की बरसात है ,
    आगे बढकर कोई मदद क्यूँ करे,
    कुशाशन से मिलता क्रूर प्रहार है !
    इंसानी विभिस्ता में गमगीनियों सा माहौल है !
    नैतिकता अधमरी ,चीत्कारों से अंतर्मन काँपा है !
    दहसत फ़ैलाने वालो से न डर ,हौसला रख !
    मंजिल अब दूर नहीं , साँसों के आवेग को परख !!

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