जीवन के सुंदर उपवन में ,
संगी साथी गाते मस्त बहारों में, 
सुख दुःख को बखूबी निभाते वे ,
धोखे की फितरत न रखे वे ,
उम्र के हर पडाव में रहते साथ हैं ,
सच्ची मित्रता सबको लुभाती है ,
आओ सभी इस टोली में शामिल हो ,
दुनिया से यदि वैर वैमनस्य मिटाना हो !

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प्रगति की दिशा में अनुशाषित बढ़ रहे सभी ,
सुसंस्कृत व् एकता के भाव को अपनाये सभी ,
पर ठहरो इस भीड़ में छिपा है अन्धकार कहीं ,
पैनी नजरो से खोजो इस भारत के दुश्मन को अभी , .
बच्चों का बचपन छीनकर करें न ये मनमानी कभी ,
देश की सुरक्षा न हो जाये खंडित कहीं ,
वतन रहे सुरक्षित अगर हम जाग जायें अभी ,
जागो , भीड़ में भीड़ बनकर न रह जायें सभी ,
सजग होकर भीड़ में खड़े दुश्मन को पहचाने अभी !
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 दोस्त मिले हो बर्षों बाद , 
अबके निभाना हरदम साथ !
मैं तो क्लर्क छोटा सा ,
तुम बन गए हो मेरे साहब !
मैं तो सुदामा इस युग का ,
तुम बन कर दिखाओ द्वापरी कृष्ण !
कलयुगी कालिख दोस्ती पर ,
तुम खिलाओ श्वेत स्नेह कमल !
दुनिया मैं फिर कायम होगा ,
हाथ से यु मिलाएं हाथ बनके मिसाल !

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समाज का दर्पण हैं नर नारी ,
चलती है जिससे दुनिया सारी ,
विश्वास के पहिये पर चलती गाड़ी 
अनैतिक मूल्यों पर पड़ रही अब भारी ,
हाथों में लिए हाथ बढाओ स्नेह डोरी ,
सृजक का अपमान न कर बनके व्यापारी ,
जीवन चक्र को कुचलने की न शक्ति तुम्हारी ,
विपदा में नारी भोग्या बन रह गयी बेचारी ,
अनैतिक नरों का चिन्तन बढ़ा रही है लाचारी ,
संस्कृति का मान बढायें ,बुझे न अब दामिनी की चिंगारी .
भविष्य की नीव रखे अभी, बनेगा तब जीवन गुणकारी !
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