मंजिल पाने के लिए बढ़ते सभी 
नकरात्मक सोच से उलझते कई 
फौलादी हौसलों से मिलती राहे नयी 
सकरात्मक चितन से मिटते भ्रम कई 
****************सुनीता ****************

हितोपदेश में निहित व्यक्ति का मन:स्तिथि 
कर्मशील होने से मिलती जीवन में प्रगति 
परनिंदा व् अभिमान देती आत्मा को अवनति 
क्षमाशील , स्नेहशील व् सहानुभूति देती हमे उन्नति 
**********************सुनीता *************************

दिल को लोग दौलत का घर बनाते अकसर 
दिल को लोग रिश्तों का साम्राज्य बनाते अकसर 
दिल को लोग भावनाओ का समन्दर बनाते अक्सर 
हम दिल को भावमयी  रिश्तों  की दौलत से सजाते अकसर !!
*************************सुनीता *********************

फरवरी लाई युवाओं के कई रंगीले डे ,
अपनी सभ्यता भूल मनाते विदेशी डे ,
रौंद डाली अपनी भारतीय संस्कृति !
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कल हम सभी देश वासी गणतंत्र की पावन बेला पर एकत्र होकर देश की गौरव गाथा को याद करते हुए एक परम्परा मात्र सी फिर निबाहेंगे किन्तु हम सभी क्या वाकई आजाद भारत के निवासी हैं ! शायद हाँ और शायद नहीं ........इस प्रश्न पर लोग तीन समूह में बँटते हुए नजर आयेंगे , किन्तु स्वतंत्र होने के बाद भी हम मानशिक रूप से आज भी कुरीतियों और कलुषित मानसिकता के शिकार हैं ! आज न केवल हमारे संविधान के कई धाराओं में संसोधन अत्यंत जरूरी हैं अपितु हमे स्वयं अपने घर ,परिवार ,समाज व् देश के भाग्य उथान हेतु स्वयं भी कार्यरत होना पड़ेगा !

आज आवश्यता है सत्साहित्य एवं ऐसे रचनाकारों की जो देश को नैतिक पतन की दिशा की ओर लेखन से देश के चलचित्रों व् नाटकों को सही दिशा देते हुए देश को पतन के मार्ग से बचाए ...कानून और सरकार से उम्मीद रखकर हम अपने कर्तव्यों को नजरअंदाज कैसे कर सकते हैं ! अधिकार चाहिए तो कर्तव्य भी तो निबाहना होगा ! देश की बिगडती नैतिक व्यवस्था का जिम्मेदार कौन ...क्या हम सभी मिलकर अपराधी नहीं ,क्या हमसे कोई गलती नहीं हुयी ...बिलकुल हुयी हैं ...हम सभी ने आधुनिकता के नाम पर अपना ज़मीर बेच दिया है और भौतिकवाद की अंधी दौड़ में अपनी सुंदर संस्कृति हेतु गांधारी की भूमिका निबाह रहे हैं .......आयें जागें और संकल्प लें एक स्वच्छ प्रगतिशील भारत का जिसमें हर घर से मानवता की अविरल धारा बहे ...वन्दे मातरम !

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