*****************त्रासदी एक माँ की ************************
जिन तीन लालों को अपने दूध व् लहू से सींचा मैंने
अपनी त्रासदी भुलाकर हरदम उन्हें हंसाया मैंने
अपनी सूनी गोद देखकर सोच रही क्या पाया मैंने
वतन की रक्षा की राह दिखाकर खुद को रुलाया मैंने
एक लाल को मिटा दिया देश की आन की खातिर मैंने
दूसरे को खुद मार दिया देश की बेटियों की लाज हेतु मैंने
तीसरे ने वृद्धा आश्रम दिखा दिया , जिसको सबसे अधिक चाहा मैंने
हे धरती माँ , मेरी कहानी तो छोटी पर तेरे लिए जहाँ लुटा दी मैंने !