दो सखा
गूंगापन और एकाकीपन चल रहे संग संग
आत्मा की लहरियां और शब्दों के मोती चल रहे संग संग
ह्दय की तस्वीरें और कागज पर लेखनी रहती संग संग
आपहिज तन और स्वालंबी मन चल रहे संग संग
जीवन की शून्यता और खोखली मुस्कराहट रहती संग संग
सपनो के झरोखे और वर्तमान का संघर्ष रहते संग संग
नयनो के अश्रु और यादों का सागर रहते संग संग
ईर्ष्यालु प्रवृति और परस्पर प्रतियोगी रहते संग संग !