आस  मेरे मन की......

अपने आदर्शों से दूसरों  के स्वाभिमान  न कुचलना ,
अपने सोच की धरोहर से दूसरों को अपमानित न करना ,
अपनी बातों की महिमा में दूसरों का तिरस्कार न करना ,
अपनी संकुचित मानसिकता से दूसरों का हृदय अवसादित न करना !

अपनी आजादी के लिए दूसरों को पराधीन मत करना ,
अपना शीश के अहंकार में दूसरों के शब्दों की अवहेलना  न करना ,
अपने मन के भाव खिलाने में दूसरों के मन को मत रौदना ,
अपने तन के घाव भरने के लिए दूसरों को घाव न देना !

अपने बोझिल चिन्तन से दूसरों को हतोसाहित न करना ,
अपने बंजर धरती के रंज में दूसरों को रंज मत देना, 
अपने पत्थर  दिल से दूसरों को प्रताड़ित न करना ,
अपने मन को विशाल बनाकर समाज कल्याण में तत्पर रहना !

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