फेसबुक व् रिश्ते
फेसबुक पर रिश्तों की महिमा बड़ी विचित्र
कहीं पर जन्म जन्मान्तर के रिश्ते हैं बनते
अटूट दोस्ती के मिशाल भी यहीं पर बनते
सुख दुःख साँझा करने का अद्भुत मंच यहीं हैं बनते
पर यहीं बेरहम लोग रिश्तों की कद्र नहीं जानते
पर यहीं बेरहम लोग रिश्तों की कद्र नहीं जानते
एक दूसरे की भावनावों को नहीं पहचानते
लोग अपनों के साथ ही विश्वाशघात किये जाते हैं
ये दुनिया है घोटालों की दुनिया ,दिल यहीं तोड़े जाते हैं
दोस्तों की बातें भरी महफिलों में उड़ाई और जग हसाई की जाती है
इस मंच पर सभी मोखोटा लिए बैठे हैं ,और दूसरों का परिहास किये जाते हैं
इस सुंदर मेल मिलाप के जगत को क्यूँ हो प्रदूषित करते
अपनी चंद लम्हों की ख़ुशी की खातिर दूसरों का हृदय भेदन करते
मान बड़ाई सभी को प्यारी ,सबका स्वाभिमान का ध्यान क्यूँ नहीं रखते
अपने प्रशसको व् मित्रों के शब्दों को प्रोत्साहित नहीं कर सकते तो हतोसाहित भी क्यूँ हो करते
लड़कियां भी किसी घर की माँ, बहन, बेटियां हैं उनमें आप अपने घर की महिलाएं क्यूँ नहीं देखते ,
उनके तश्वीरों को नीलाम कर क्यूँ अपने घरों को असुरक्षित हो बनाते
जगत में भाई बहन का रिश्ता बड़ा ही अनमोल उसकी आप अपने मित्रों संग क्यूँ तिरस्कार करते
फेसबुक के संसार को सुंदर न बनाकर , आपस के इस आसान परिचेय व् व्यवहार मंच को क्यूँ कुछ लोग विभस्त बनाते !