जागरण 

जागरण बनाम दिखावा का जोर हर कहीं ,
ईश्वर  की पुकार होती गली गली 

जागरण बनाम शोरशराबा का शौक  हर कहीं 
बहरा  करने का ठेका लेते गली गली 

जागरण बनाम आडम्बर का बढता रिवाज हर कहीं 
असहाय को ठुकराकर मौज मानते गली गली 

जागरण बनाम अध्यात्मवाद का कुचलन बढ़ रहा हर कही 
मिथ्या को अपनाकर विवेक खोते गली गली 

जागरण बनाम निन्द्राहर्ण  का बढ़ता फैशन 
पीड़ितों ,शिशुओं और बुजुर्गों को प्रताड़ित करते गली गली 

जागरण बनाम धार्मिक विज्ञापन का दौर हर कहीं 
अंत :करण को झुठलाकर,ज्ञानी बन रहे सभी गली गली ,

जागरण बनाम ध्वनि  प्रदूषण का फैलता आचरण  हर कहीं ,
रौद रहे  मनुजता ,ईश्वर को मानाने  में गली गली !!

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