विश्वास
वह आया ओस की बूँद सा ,
सूर्य की किरणों में चमकता मोती सा ,
गूंगी जिह्वा में स्वरलहरी सा ,
हर पतझड़ में बरखा की फुहार सा ,
चंचल मन में विराट समुद्र सा !
वह आया फूलों में मकरंद बन ,
काली अमावस में पूर्णिमा सा बन ,
कंटक से भरे रास्तों में कालीन सा बन ,
भरी दुनिया में सितार सा बन
तिरस्कृत जीवन में उपहार सा बन !
वह आया क्रोध को शांत करने को ,
धरती में फैली नफरत मिटाने को ,
आडंबर से फैली अज्ञानता हटाने को
सुप्त होती मनुजता जगाने को ,