कैसे ...न ..जाने कैसे
दामन के काँटों और आँखों के आँसू दिखाऊँ कैसे ,
जीवन भर जो मिला उन्हें छिपाऊँ कैसे ,
पल भर की ख़ुशी और फिर वही पल सँभालूँ कैसे ,
हर दर्द को तकदीर बनाकर समेटूं कैसे ,
वक़्त के बेहरहम चोट को भुला दूँ कैसे ,
दूसरों की ख़ुशी मैं अपनी लाचारी का गम मिटा दूं कैसे ,
तकदीर से निस दिन बढती उलझन सुलझाऊं कैसे ,
शब्दों में छिपे भाव व् भाव में छिपे शब्द पढाऊँ कैसे ,
मेरे ख्वाब ,मेरी तन्हाईयाँ और तेरी रुसवाई निभाऊं कैसे ,
दर्द का बढ़ता सैलाब और उफनती ज्वाला बुझाऊँ कैसे ,
मेरा तेरा की बहस में जीवन बिताऊँ कैसे !