तिरंगे की लाचारी 

१५ अगस्त को मनाई जाती तिरंगे की आजादी ,
पर नहीं दिखती किसी को क्या इसकी लाचारी ?
दिनोदिन नहीं बढ़ रही क्या इसकी बेबसी ?
भारत माँ की बेटियों की लुट रही अस्मत गली -गली ,
भूख ,दहेज़ ,जातिवाद ,धर्मवाद भ्रूणहत्या ,हिंसा इसे रुला रही ,
फिर भी देखिये हम सजा रहे झाँकी आजादी की ,
अनाचार, दुराचार ,व्यभयाचार व् भ्रस्टाचार की बढ़ रही आँधी ,
कला में नग्नता और फूहड़ता परोस रहे पर भविष्य की चिंता नहीं ,
भेदभाव में देखो गरीबों के अरमान व् प्रतिभा कैसे बिक रही ,
जीवन उथान के हर मोर्चे पर कैंसर बन रही रिश्वतखोरी ,
शहीदों की क़ुरबानी जैसे बन चुकी देश की लाचारी ,
तिरंगे का क्या सम्मान जब फ़हराने तक का ज्ञान नहीं ,
रौंद रहे इसके मान सम्मान को ,पैरों की समझकर जूती ,
राजनीती तो जैसे बन चुकी है तिरंगे की फाँसी ,
बेच रहे निज स्वार्थ में तिरंगे की अनमोल ख़ुशी ,
भूल चुके पराधीनता की वो खौफनाक व् दर्दनाक कहानी ,
और देखो क्या धूम से मनायेंगे सभी तिरंगे की आज़ादी !! १४ /८/२०१२

Popular posts from this blog