लो  फिर लौटा अश्रुवर्षा  का मौसम 

ख्वाबों  में दिखता था जो हरदम ,
आज तूफ़ान बन फिर उतरा इस धरा पर ,
बरसा सावन ,बरसा गगन ,बरसे  नयन ,
आज फिर उसकी यादों ने रुला दिया ,
तन्हाईयों में जिसका चेहरा देख लेती थी ,
आज फिर उसी चेहरे ने  रुला दिया ,
इंद्रधनुषी  सपने   बारम्बार  खंडित होते  रहे ,
आज फिर द्रवित हुआ हृदय  तेरी यादो में ,
पूछा रस्तों ने नयनो में अश्रु देखकर ,
आज वह कौन है ,जो फिर तडपा गया ,
जिस पेड़ की शाखा सूख  चुकी थी ,
आज फिर तेरी यादों में भीग गयीं ,
रूह की तश्वीर बस्ती थी जिसमें ,
आज वह फिर स्याह  रात बन गयी ,
जिन धागों में हस्ती थी जिन्दगी ,
आज वह छूट गयी अश्रुधारा  बन ,
जीवन भर हँसे खेले जिसके संग ,
आज फिर लौटा बन  अश्रुवर्षा का मौसम !!

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