आसनन्ही सी आस है जगी,
इस धरा के उस छोर है बसी,
पंछी बलखाती सी उडती,
पेड़ों के पीछे झुरमुट से सुन बंसी,
वसंत की महकती गलियों सी ख़ुशी I
नन्ही सी आस है बंधी,
अपने अस्तित्व की तलाश नयी,
निखरते व्यक्तित्व की चांदनी नयी,
पुलकित आर्जूवों की झंकार नयी,
बोझिल चेहरों की मुस्कान नयी II
नन्ही सी आस है बनी,
हथेलियों की चंद लकीरों सी नयी,
उम्मीद की नवीन किरणों से नयी,
कल्पनाओ से परे उस ओर कहीं,
पलकों में मदमाते सपनो से कहीं I
नन्ही सी आस है उठी,कोमल करुणा की मुस्कान नयी,
जीवन समर्पण के भाव नये,
अपंग बचपन में अभीरूचि नयी,
स्वप्नों के हकीकत बनती ख़ुशी I
नन्ही सी आस बनी ख़ुशी II