TO achieve your goal of renunciation ,first control your EGO, then slowly move towards your soul saying I WILL NOT RUN AWAY FROM MY KARMA ,I shall try to respect all irrespective of their disparities ,my life will be in the service of humanity.slowly and gradually u will feel that burden on your soul is relaxed and you have greater insight of rationalising things .In Gita lord KRISHNA advices "Tyaagat shaantih anantaram " lead a stessless life via meditation
Popular posts from this blog
प्रेम प्रेम तो है जीवन श्रृंगार , लाती है खुशियों की बहार , अंतर्मन में बसती सौंधी खुशबू सी , सुदृढ़ रिश्तों का उत्तम आधार ! सुंदर गीतों से झंकृत संसार , प्रेम के बोल हैं जिसके श्रृंगार , जीवन में प्रेम है ब्रह्मानंद , खोलती सदा उन्नति के द्वार ! प्रेम भावनाओ का है संसार , सुंदर अहसासों का सुदृश्य द्वार , खिलता जिससे मन आँगन , दिलों का होता जिससे सुंदर श्रृंगार !
घड़ी भर की वह बरखा फुहार बनकर आया बेहरूपिया था मगर ऐतबार बनकर आया वक़्त की बंदिशों मेँ पहचान ना सके जिसे वो गुलशन मेँ मेरे खार बनकर आया रिसते जख्मों की तदबीर तो जरा देखिए वह तो रिश्तों का सौदागर बनकर आया परवाज़ की बुलंदियों पर फक्र था मुझे पर कतरने बहेलिया माहिर बनकर आया रूह भटकती रही घने दश्त मेँ रात दिन नागहा मेरा रकीब खंजर बनकर आया