उम्मीद ****** जन्म और मृत्यु नदिया के दो किनारे एक शाश्वत सत्य जिसका भेद न जान सके कोई , ऐसा सत्य जहाँ मानव हार जाता ......... फिर भी ,,,, उम्मीद की नाव पर सवार , नदी के रहस्यों को खंगालता अपना जीवन गवाता किन्तु हारता नहीं , बस ........... उम्मीदों को अमृतसागर मान जीवन नदी में गोते लगाता अपने दुखो के घनेरे जंगलों की भयावह रातों में सुख की रौशनी तलाशता ........ ताउम्र एक उम्मीद बनती अमृत लेप व्यथित मन पर पीड़ित देह पर एकटक बाट जोहते उस विश्वास पर जो अटल है अमरत्व लिए है जो जीवनदाता है और वह .......... म्रत्युहरता भी है वही असल मंजिल है सुखो का धरातल है जीवन सुधारक जीवन उद्धारक भी ... जिसके साथ साथ रहने पर पलते हैं सुखद भविष्य के...
Posts
Showing posts from July, 2013
- Get link
- X
- Other Apps
उत्तराखंडी किसान _____________________ बादलों का रौद्र रूप देख , आँखे मेरी छलक रही हैं ! अपने उजड़े चमन को देख , घुमड़ घुमड़ कर बरस रही है ! जिस शिद्त से मैंने सपने देखे , धड धड करके सब चूर हो गए , सपनों को डुबोकर बदली अब भी ,दिल की धड़कन बढ़ा रही है ! वर्ष भर की कठोर मेहनत से , हम जीवन उजियारा करते थे ! कम अन्न और धन से भी ,मिलजुल कर गुजारा करते थे !! प्रकृति को पूजते हम किसान , तूफानों से कभी न हारे थे ! फिर नव जीवन तलाशने में ,ऐसी बर्बादी से भी न डरे थे !! विकास की राह में बढे सभी ,हमको सब ने बर्बाद किया , अपना घर रौशन कर , उन लोगों ने हमे अन्धकार दिया , मुफलिस जीवन में रह रह कर जहर का घूँट हमे मिला , स्वार्थी लोगो पर विश्वास करने की ,सजा महादेव ने हमसे लिया ! बहुत दुःख सह लिया हमने , अब न बढ़ने देंगे दुखो को ! अपने जीवन के खार बाँट देंगे ,चमन से फूल चुनने वालो को !! मिटटी के हम पुजारी , मिटटी की लेते आज सौगंध ! मातृभूमि के गद्दारों को , मिटटी में मिलाएंगे रहेगे प्रतिबद्ध !! ****************************** *********