MOST of the times I encountered a question from my students ,how can there be harmony in the society.....well the very simple way is that we all people on this Earth must first of all forget all disparities in the same manner as the nature teaches us .develop the spirit of FORGIVENESS .AS THE CASE OF TONGUE VERSES TEETH .No matter how many times Teeth bite the Tongue, they still Stay Together in one Mouth. That's the Spirit of FORGIVENESS....!
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यातायात जाम _____________ दुनिया के जामनगर में चारो तरफ भीड़ ही भीड़ सड़क और सड़कों को जोड़ती सड़कें चलती अंतहीन सफर पर जहाँ आदमी की मात्र पहचान बस ...वाहन रेंगती - हॉर्न बजाती असंख्य छोटे- बड़े वाहन अपनी बनावट पर इतराते फिर अपनी अमीरी पर ऐंठते -धकेलते ठेंगा दिखाते जीवन पथ पर बढ़ते ये मुसाफिर मशीनी युग के अजीब दीवाने जहां हर शक्स कैद होकर इसकी तृष्णा संसार में इतना उलझ चुका है हर घर के हर व्यक्ति चाहने लगा एक वाहन समाज पर प्रभाव दिखाने भीड़ बढ़ाने जाम लगाने क्योंकि वाहन मोह को भोग रहा है ढ़ो रहा है गाली- गलौच के बोझ को असमय मृत्यु के खौफ को जिसको देख रहा निसदिन जाम को पचाने की आदत ने सिखा दिया आदमी को पचाना समय की सभी अनियमित को जिसमें हर रोज एक नया जीवन को मजबूरी में जीते हैं नासमझ लोग । ___________सुनीता शर्मा
उम्मीद ****** जन्म और मृत्यु नदिया के दो किनारे एक शाश्वत सत्य जिसका भेद न जान सके कोई , ऐसा सत्य जहाँ मानव हार जाता ......... फिर भी ,,,, उम्मीद की नाव पर सवार , नदी के रहस्यों को खंगालता अपना जीवन गवाता किन्तु हारता नहीं , बस ........... उम्मीदों को अमृतसागर मान जीवन नदी में गोते लगाता अपने दुखो के घनेरे जंगलों की भयावह रातों में सुख की रौशनी तलाशता ........ ताउम्र एक उम्मीद बनती अमृत लेप व्यथित मन पर पीड़ित देह पर एकटक बाट जोहते उस विश्वास पर जो अटल है अमरत्व लिए है जो जीवनदाता है और वह .......... म्रत्युहरता भी है वही असल मंजिल है सुखो का धरातल है जीवन सुधारक जीवन उद्धारक भी ... जिसके साथ साथ रहने पर पलते हैं सुखद भविष्य के...
